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उत्तराखंड के प्रमुख मेले (Major Fairs of Uttarakhand)

उत्तराखंड के प्रमुख मेले

उत्तराखंड, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, धार्मिक महत्व और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। इस राज्य में विभिन्न मेलों का आयोजन न केवल धार्मिक और सामाजिक महत्व रखता है, बल्कि यह यहाँ की लोक कला, संगीत, नृत्य और परंपराओं को संरक्षित करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी है। उत्तराखंड के प्रमुख मेले हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, जो इन मेलों के माध्यम से राज्य की विविधता और ऐतिहासिक संस्कृति का अनुभव करते हैं। इस लेख में हम उत्तराखंड के कुछ प्रमुख मेलों का परिचय देंगे, जो राज्य की अनूठी परंपराओं और धार्मिकता का प्रतीक हैं।

जौलजीवी मेला

जौलजीवी मेला उत्तराखंड के पिथोरागढ़ जनपद के काली एवं गौरी नदियों के संगम पर स्थित जौलजीवी नामक स्थान पर प्रतिवर्ष 14 से 19 नवम्बर तक लगता है , इस मेले की शुरुआत 1914 में हुई थी|

चैती मेला (बाला सुन्दरी मेला)

चैती मेला उधम सिंह नगर जिले के काशीपुर के कुण्ड़ेश्वरी देवी मंदिर में लगता है ,  कुण्ड़ेश्वरी कुमाऊं में चन्द राजाओ की कुलदेवी  मानी जाती है|

माघ मेला

माघ मेला उत्तरकाशी में प्रतिवर्ष 14 जनवरी से शुरू होता है इसे बाड़ाहाट का थौल भी कहा जाता है|

बिस्सू मेला

यह मेला उत्तरकाशी जनपद के कई स्थानों पर बैसाखी के दिन लगता है

नंदादेवी मेला

नंदादेवी मेली उत्तराखंड में भाद्र शुक्ल पक्ष की पंचमी से अल्मोड़ा, नैनीताल, बागेश्वर, मिलम आदि कई स्थानों पर लगता है

श्रावणी मेला

श्रावणी मेला अल्मोड़ा के जागेश्वर में श्रावण मॉस में एक महीने तक लगता है|

सोमनाथ मेला

सोमनाथ मेला अल्मोड़ा जिले के मासी नामक स्थान पर लगता है यह मेला पशुओ के क्रय विक्रय के लिए प्रसिद्ध है|

स्याल्दे बिखौती मेला

स्याल्दे बिखौती मेला अल्मोड़ा जनपद के द्वाराहाट में प्रतिवर्ष बैसाख माह के पहले व दूसरे दिन लगता है|

बैकुण्ठ चतुर्दशी मेला

बैकुंठ चतुर्दशी मेला पौड़ी जिले के श्रीनगर के कमलेश्वर मंदिर में बैकुंठ चतुर्दशी के अवसर पर लगता है|

गोचर मेला

गोचर मेला चमोली जिले के गोचर नामक स्थान पर लगता है इस मेले की शुरुआत 1943 में गढ़वाल के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर बर्नेडी ने की थी |

झन्डा मेला

झन्डा मेला देहरादून में प्रतिवर्ष होली के पांचवे दिन गुरु राम राय के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है|

थल मेला

थल मेला पिथोरागढ़ के थल में प्रतिवर्ष बैसाखी के अवसर पर लगता है , इसकी शुरुआत 13 अप्रैल 1940 को हुई|

इसके अलावा उत्तराखंड के कुछ अन्य मेले तथा उनके आयोजन स्थल निम्नलिखित है 

  • गणनाथ मेला – ताकुला (अल्मोड़ा)
  • पूर्णागिरी मेला – टनकपुर 
  • बग्वाल मेला – देवीधुरा (चम्पावत)
  • लड़ी धुरा मेला – चम्पावत 
  • मानेश्वर मेला – मायावती आश्रम (चम्पावत )
  • दनगल मेला – पौड़ी 
  • चन्द्रबदनी मेला – टिहरी 
  • रण भूत कौथिक – टिहरी गढ़वाल 
  • तिमुड़ा मेला – जोशीमठ 
  • नुणाई मेला – जौनसार क्षेत्र 
  • टपकेश्वर मेला – देहरादून 
  • कुम्भ मेला – हरिद्वार 
  • पिरान कलियर मेला – रुड़की
  • अटरिया मेला – रुद्रपुर 
  • सिद्ध बलि जयंती मेला – कोटद्वार 
  • वीर गब्बर सिंह मेला –  टिहरी गढ़वाल 
  • ताडकेश्वर मेला – पौड़ी 
  • सुरकंडा मेला – टिहरी गढ़वाल 
  • कण्डक मेला – उत्तरकाशी 
  • वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली स्मृति मेला – पौड़ी गढ़वाल 
  • शहीद केशरी चन्द मेला – चकराता 
  • बसंत बुरांश मेला – चमोली 
  • नाग टिब्बा मेला – जौनपुर (टिहरी गढ़वाल)
  • जाखौली मेला – चकराता 
  • शहीद भवानी दत्त जोशी मेला – थराली (चमोली)
  • खरसाली मेला – उत्तरकाशी 
  • सेलकु मेला –  उत्तरकाशी 
  • क्वानु मेला – चकराता 
  • खकोटी उत्सव – पौड़ी गढ़वाल 
  • हिलजात्रा उत्सव – पिथोरागढ़ 

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हैलो दोस्तों मेरा नाम सूरज मैनाली है Smeducation एक प्रोफेशनल एजुकेशनल प्लेटफॉर्म है। जहां प्रतियोगी परीक्षाओं और रोजगार से संबंधित जानकारी हिन्दी भाषा में उपलब्ध है।

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