
उत्तराखंड प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध राज्य है, जहां जल विधुत परियोजनाओं का विशेष महत्व है। ये परियोजनाएं न केवल ऊर्जा उत्पादन में योगदान करती हैं बल्कि सिंचाई और जल संरक्षण के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। राज्य में स्थित प्रमुख बाँधों और जल विधुत परियोजनाओं की जानकारी निम्नलिखित तालिका में प्रस्तुत है:
परियोजना | नदी/स्थान | क्षमता (मेगावाट) | विशेषताएं |
---|---|---|---|
ग्लोगी जल विधुत परियोजना | भट्टा फॉल, मसूरी | 1000 | उत्तराखंड की पहली जल विधुत परियोजना |
टिहरी जल विधुत परियोजना | भागीरथी-भिलंगना, टिहरी | 2400 | एशिया का सबसे ऊंचा बाँध |
विष्णु प्रयाग परियोजना | अलकनंदा, चमोली | 650 | अलकनंदा नदी पर स्थित |
धौलीगंगा परियोजना | धौलीगंगा, धारचूला | 280 | कट-ऑफ वाल तकनीक का उपयोग |
पंचेश्वर बाँध परियोजना | चंपावत जिला | निर्माणाधीन | भविष्य में ऊर्जा का प्रमुख स्रोत |
मनेरी भाली परियोजना | भागीरथी, उत्तरकाशी | 90 | उत्तरकाशी में स्थित |
श्रीनगर परियोजना | अलकनंदा, श्रीनगर | 330 | अलकनंदा नदी पर आधारित |
पथरी परियोजना | गंगा नहर, हरिद्वार | 20 | हरिद्वार के पास स्थित |
खटीमा परियोजना | शारदा, उधम सिंह नगर | 41 | शारदा नदी पर स्थित |
छिबरो परियोजना | टोंस, देहरादून | 240 | टोंस नदी पर आधारित |
रामगंगा परियोजना | रामगंगा, पौड़ी | 198 | रामगंगा नदी पर स्थित |
टनकपुर परियोजना | शारदा, चंपावत | 120 | शारदा नदी पर आधारित |
ग्लोगी जल विधुत परियोजना
ग्लोगी जल विधुत परियोजना मसूरी के भट्टा फॉल पर स्थित है। इसकी क्षमता 1000 मेगावाट है और यह उत्तराखंड की पहली जल विधुत परियोजना है, जिसमें 1909 से बिजली उत्पादन हो रहा है। यह परियोजना राज्य की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
टिहरी जल विधुत परियोजना
टिहरी जल विधुत परियोजना भागीरथी और भिलंगना नदियों के संगम पर स्थित है। इसकी कुल क्षमता 2400 मेगावाट है। यह एशिया का सबसे ऊंचा बाँध है, जिसकी ऊंचाई 260.5 मीटर है। इसके जलाशय को स्वामी रामतीर्थ सागर के नाम से जाना जाता है। इस परियोजना का निर्माण 1978 में प्रारंभ हुआ और इसे 1988 में टिहरी जल बाँध निगम को सौंपा गया।
विष्णु प्रयाग जल विधुत परियोजना
विष्णु प्रयाग जल विधुत परियोजना चमोली जिले में अलकनंदा नदी पर स्थित है। इसकी कुल क्षमता 650 मेगावाट है। यह परियोजना ऊर्जा उत्पादन के साथ-साथ पर्यावरणीय स्थिरता में भी योगदान देती है।
धौलीगंगा परियोजना
धौलीगंगा परियोजना पिथौरागढ़ जिले के धारचूला में धौलीगंगा नदी पर स्थित है। इसकी कुल क्षमता 280 मेगावाट है, और इसमें कट-ऑफ वाल तकनीक का उपयोग किया गया है। यह परियोजना 2005 में शुरू हुई और क्षेत्र के विकास में सहायक रही।
पंचेश्वर बाँध परियोजना
पंचेश्वर बाँध परियोजना चंपावत जिले में निर्माणाधीन है। यह परियोजना भविष्य में राज्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में प्रमुख भूमिका निभाएगी।
उत्तराखंड में स्थित अन्य परियोजनाएं, जैसे मनेरी भाली, श्रीनगर, पथरी, खटीमा, छिबरो, रामगंगा, और टनकपुर, ऊर्जा उत्पादन के साथ-साथ स्थानीय विकास में भी योगदान देती हैं। ये परियोजनाएं राज्य और देश के लिए ऊर्जा के प्रमुख स्रोत हैं।
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