बिहार, भारतीय उपमहाद्वीप के एक महत्वपूर्ण राज्य के रूप में अपनी कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की कृषि क्षेत्र राज्य की समृद्धि और विकास में एक केंद्रीय भूमिका निभाती है। बिहार की उपजाऊ भूमि, विशेष रूप से गंगा, कोसी, और गंडक नदियों के किनारे स्थित क्षेत्रों में, देश की सबसे प्रोडक्टिव कृषि भूमि मानी जाती है। धान, गेंहू, मक्का, और दलहन जैसी प्रमुख फसलें यहाँ उगाई जाती हैं, जिनसे न केवल राज्य की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है, बल्कि यह देशभर में आपूर्ति की जाती है।
पशुपालन भी बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। राज्य में गाय, बकरी, भेड़, मुर्गी, और मत्स्य पालन की पारंपरिक प्रणाली प्रचलित है, जो किसानों के लिए अतिरिक्त आय का एक साधन बनती है। पशुपालन से न केवल दूध और मांस जैसे उत्पाद मिलते हैं, बल्कि यह रोजगार के अवसर भी प्रदान करता है।
इस लेख में हम बिहार के कृषि और पशुपालन क्षेत्र की विशेषताओं, चुनौतियों और संभावनाओं पर चर्चा करेंगे, जो राज्य की समग्र अर्थव्यवस्था और ग्रामीण विकास के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं।
बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है यहाँ के अधिकांस लोगो का आजीवन कृषि एवं पशुपालन पर निर्भर है
बिहार में कृषि (Agriculture in Bihar)
- बिहार एक कृषि आधारित राज्य है यह राज्य भारत में खाद्य उत्पादन में अग्रणी भूमिका निभाता है यहाँ की 85 प्रतिशत जनसंख्या कृषि कार्य पर आश्रित है
- बिहार राज्य में पैदा होने वाली प्रमुख खाद्यानफसलें धान, गेहूँ, मक्का, जौ, ज्वार, रागी, बाजरा, सरसों, अरहर, चना, मसूर आदि है
- बिहार में उत्पादित होने वाली प्रमुख नगदी फसलें गन्ना, मेस्ता, मखाना, मिर्च, चाय, जूट, तंबाकू, लीची आदि है
- बिहार में भारत में कुल लीची उत्पादन का 71 % हिस्सा उत्पादित होता है
- बिहार में कृषि के विकास के लिए दो रोडमैप अपनाये गए है जो निम्नलिखित है
- कृषि रोड मैप – I – इस रोडमैप की शुरुआत 2008 में की गयी जो 31 मार्च 2012 तक चला इसके अंतर्गत बीज ग्राम योजना , मुख्यमंत्री रैपिड बीज एक्सटेंशन प्रोग्राम जैसी कई योजनाये चलायी गयी
- कृषि रोडमैप – II – इस रोडमैप की शुरुआत 3 अप्रैल 2012 को की गयी जो वर्तमान में भी कार्यरत है
बिहार में मुख्यतः रवि व खरीफ की फसलें बोई जाती है
खरीफ की फसल – खरीफ की फसल जून-जुलाई में बोई जाती है तथा नवंबर-दिसंबर में इसकी कटाई जाती है खरीफ की फसल के अंतर्गत धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, अरहर आदि प्रमुख पफसलें हैं।
बिहार में खरीफ की फसलो को दो भागो में विभाजित किया जा सकता है
- भदई फसल – इसके अंतगत ऐसी फसलें आती है जो कम समय में तैयार हो जाती है भदई पफसल के अंतर्गत ज्वार, बाजरा, धान, मक्का तथा कुछ तिलहनों की खेती की जाती है
- अगहनी फसल – यह फसल वर्षा ऋतू में बोई जाती है और नवम्बर – दिसम्बर में कटाई की जाती है धान अगहनी की प्रमुख फसल है
रबी की फसल – रबी की फसल की बुआई अक्टूबर-नवंबर में की जाती है तथा मार्च-अप्रैल के महीने में तैयार हो जाती है। रबी की फसल के अंतर्गत गेहूँ, जौ, चना, मटर, सरसों आदि की खेती की जाती है ये फसलें मुख्यतः सिंचाई पर निर्भर रहती है
बिहार में पशुपालन (Animal Husbandry in Bihar) )
पशुपालन बिहार की ग्रामीण जनता के लिए एक प्रमुख व्ययसाय है यहाँ की ग्रामीण अर्थव्यस्था का एक तिहाई भाग पशुपालन पर निर्भर है बिहार में पशुपालन के अंतर्गत मुख्यतः गाय, भैंस, भेड़, बकरी, सूअर, मुर्गीपालन तथा मत्स्यपालन का कार्य किया जाता है।