उत्तराखंड का सैन्य इतिहास और परंपरा अत्यंत गौरवमयी और महत्वपूर्ण रही है। इस राज्य ने भारतीय सेना को कई वीर सैनिकों और उच्च अधिकारियों के रूप में अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं दी हैं, जो देश की सुरक्षा में अपनी अहम भूमिका निभा चुके हैं। उत्तराखंड के सैन्य रेजीमेंट, छावनियां और प्रमुख सैन्यकर्मी न केवल देश की रक्षा में अग्रणी रहे हैं, बल्कि उनका साहस, बलिदान और प्रतिबद्धता भारतीय सेना के गौरव को और भी बढ़ाते हैं। यहाँ की सैन्य छावनियाँ और रेजीमेंट भारतीय सेना की ताकत और एकता का प्रतीक हैं, जबकि राज्य के प्रमुख सैन्यकर्मी देश की रक्षा के लिए अपनी वीरता और नेतृत्व के लिए प्रसिद्ध हैं। इस लेख में हम उत्तराखंड के प्रमुख रेजीमेंट्स, सैन्य छावनियों और कुछ महान सैन्यकर्मियों के बारे में जानेंगे, जिन्होंने भारतीय सेना में अपनी अहम भूमिका निभाई है।
उत्तराखंड के प्रमुख रेजीमेन्ट
कुमाऊं रेजीमेन्ट (Kumaun Regiment)
- कुमांऊँ रेजीमेंट की स्थापना सन् 1788 में हैदराबाद में हुयी थी, तथा इसे कुमाऊं रेजीमेन्ट का नाम 27 अक्टूबर 1945 को दिया गया और मई 1948 में इसका मुख्यालय आगरा से रानीखेत स्थान्तरित किया गया
- कुमाऊं रैजीमेंट ने मराठा युद्ध (1803), पिन्डारी युद्ध (1817), भीलों के विरुद्ध युद्ध (1841), अरब युद्ध (1853), रोहिल्ला युद्ध (1854) तथा भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम, झॉंसी (1857) इत्यादि युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- कुमाऊं रेजीमेन्ट की 13वी व 15वी बटालियन को भारतीय सेना में वीरो का वीर कहा जाता है
- 1988 में कुमाऊं रेजीमेन्ट पर डांक टिकट जारी किया गया
गढ़वाल रेजीमेन्ट (Garhwal Regiment)
- गढ़वाल रेजीमेन्ट का गठन 5 मई 1887 को गोरखा रेजीमेन्ट की दूसरी बटालियन से किया गया , इस रेजीमेन्ट द्वारा 1987 में लेंसडाउन में छावनी बनायीं गयी
प्रमुख सैन्य छावनियां व उनके स्थापन वर्ष
- अल्मोड़ा छावनी – 1815
- रानीखेत छावनी – 1871
- लेंसडाउन छावनी – 5 मई 1887
- देहरादून छावनी – 30 नवम्बर 1814
- चकराता छावनी – 1866
- नैनीताल छावनी – 1841
- रूड़की छावनी – 1853
उत्तराखंड के प्रमुख सैन्यकर्मी
माधो सिंह भंडारी
- माधो सिंह भंडारी गढ़वाल के रजा महीपति शाह के सेनापति थे
- इन्हें गर्व भंजक के नाम से जाना जाता है
वीरचन्द्र सिंह गढ़वाली
- वीरचन्द्र सिंह गढ़वाली का जन्म 24 दिसम्बर 1891 को पौड़ी गढ़वाल के मासों गाँव में हुआ था ये गढ़वाल रायफल्स में थे
- 23 अप्रैल 1930 को घटित पेशावर कांड के नायक वीरचन्द्र सिंह गढ़वाली ही थे
दरबान सिंह नेगी
- दरबान सिंह नेगी गढ़वाल राइफल्स में थे इन्हें प्रथम विश्व युद्ध में वीरता का प्रदशन करने के लिए 1914 में विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया
गबर सिंह नेगी
- गबरसिंह नेगी गढ़वाल राइफल्स में थे इन्हें प्रथम विश्व युद्ध में वीरता का प्रदशन करने के लिए 1915 में विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया
मेजर सोमनाथ शर्मा
- मेजर सोमनाथ शर्मा कुमाऊं रेजीमेन्ट में थे इन्हें 1947 में मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया
मेजर शैतान सिंह
- इन्हें 1662 के भारत चीन युद्ध में वीरता का प्रदशन करने के कारण मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया
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