उत्तराखंड का इतिहास भाग – 1 (Uttarakhand History Part -1)
उत्तराखंड के इतिहास को तीन भागो में बांटा गया है |
1. प्रागैतिहासिक काल
2. आधएतिहासिक काल
3. ऐतिहासिक काल ( प्राचीन काल , मध्य काल , आधुनिक काल )
प्रागैतिहासिक काल :
प्रागैतिहासिक काल के बारे में जानकारी हमें पाषाण कालीन उपकरण , गुफाओ , शैल चित्रों , कंकाल ,धातु उपकरण आदि से मिलती है | इस काल के कुछ प्रमुख साक्ष्य निम्नलिखित है :
लाखु गुफा – लाखू गुफा अल्मोरा के बाड़ेछीना में स्थित है इसकी खोज 1963 में की गयी यहाँ से मानव व पशुओ के चित्र प्राप्त हुए है जिनमे मानव को नृत्य करते दिखाया गया है तथा चित्रों को रंगों से भी सजाया गया है |
ग्वारख्या गुफा – ग्वारख्या गुफा चमोली में अलकनंदा नदी के किनारे डुग्री गाँव में स्थित है यहाँ से मानव , भेड़ , लोमड़ी , बारहसिंगा के रंगीन चित्र मिले है |
मलारी गाँव – चमोली जिले में स्थित मलारी गाँव से गढ़वाल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने सन 2002 में हजारो वर्ष पुराने नर कंकाल , मिट्टी के बर्तन तथा एक 5.2 किलो का सोने का मुखौटे की खोज की | यहाँ से प्राप्त मिट्टी के बर्तन पकिस्तान की स्वात घाटी के सिल्प के समान है |
किमनी गाँव – चमोली जिले में थराली के पास स्थित किमनी गाँव से हथियार व पशुओ के शैल चित्र मिले है
ल्वेथाप – अल्मोड़ा के ल्वेथाप से शैलचित्र प्राप्त हुए है जिनमे मानव को शिकार करते और हाथ में हाथ डालकर नृत्य करते दिखाया गया है |
बनकोट – पिथोरागढ़ के बनकोट से 8 ताम्र मानव आकृतियाँ मिली है |
फलसीमा – अल्मोड़ा जिले के फलसीमा से योग तथा नृत्य मुद्रा वाली मानव आकृतियाँ मिली है |
हुडली – उत्तरकाशी के हुडली से नीले रंग से रंगर गए शैलचित्र मिले है |
पेटशाल – अल्मोड़ा के पेटशाल से कत्थई रंग की मानव आकृतियाँ मिली है |
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