स्वर (Swar in Hindi) – Vowels
हिन्दी वर्णमाला को दो भागों में विभाजित किया गया है स्वर (Swar in Hindi) और व्यंजन इस पोस्ट में स्वरों के विषय में विस्तृत जानकारी दी गई है। इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे की स्वर किसे कहते है स्वर कितने प्रकार के होते हैं आदि
स्वर (Vowels)
हिन्दी भाषा के ऐसे वर्ण जिनका उच्चारण स्वतंत्र रूप से किया जाता है स्वर कहलाते हैं हिन्दी भाषा में उच्चारण के आधार पर 10 और लेखन के आधार पर 13 स्वर होते हैं
- उच्चारण के आधार पर – अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ
- लेखन के आधार पर – अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ अं अः
स्वरों का वर्गीकरण :
मात्रा के आधार पर
- ह्रस्व स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में कम समय लगता है (एक मात्रा वाले स्वर) उन्हे ह्रस्व स्वर कहा जाता है
जैसे अ ,इ , उ ह्रस्व स्वर हैं । - दीर्घ स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में अधिक समय लगता है (दो मात्रा वाले स्वर) उन्हे दीर्घ स्वर कहा जाता है
आ , ऑ , ई , ऊ , ए , ऐ , ओ और औ दीर्घ स्वर हैं ।
जिह्वा के आधार पर
- अग्र स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में जीभ का अग्र भाग का प्रयोग होता हैं जैसे – इ, ई, ए, ऐ
- मध्य स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में जीभ के मध्य भाग का प्रयोग होता हैं जैसे – अ
- पश्च स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में जीभ का पश्च भाग का प्रयोग होता हैं जैसे – उ , ऊ , ओ , औ , ऑ , आ
ओष्ठों की स्थिति के आधार पर
- वृत मुखी – ऐसे स्वर जिनके उच्चारण में होंठ गोलाकार होते हैं उन्हे वृतमुखी कहा जाता है जैसे – उ , ऊ , ओ , औ ,ऑ
- अवृत मुखी – ऐसे स्वर जिनके उच्चारण में होंठ गोलाकार नहीं होते हैं उन्हे अवृतमुखी कहा जाता है जैसे – अ , आ , इ , ई , ए , ऐ
मुख के खुलने के आधार पर
- संवर्त – जिन स्वरों के उच्चारण में मुख लगभग बंद रहता है संवर्त स्वर कहलाते हैं जैसे – इ , ई , उ , ऊ
- विवर्त – जिन स्वरों के उच्चारण में मुख पूरा खुला रहता है विवर्त स्वर कहलाते हैं जैसे – आ
- अर्ध विवर्त – जिन स्वरों के उच्चारण में मुख आधा खुला रहता है अर्ध विवर्त स्वर कहलाते हैं जैसे – ऐ , अ , औ , ऑ
- अर्ध संवर्त – जिन स्वरों के उच्चारण में मुख आधा बंद रहता है अर्ध संवर्त स्वर कहलाते हैं जैसे -ए , ओ
नाक व मुंह से हवा निकलने के आधार पर
- अनुनासिक – जिन स्वरों के उच्चारण में हवा मुख और नाक दोनों से निकलती है अनुनासिक स्वर कहलाते हैं जैसे – अँ, आँ,
- निरनुनासिक – जिन स्वरों के उच्चारण में हवा केवल मुंह से निकलती है निरनुनासिक स्वर कहलाते हैं जैसे – अ, आ, इ, ई, उ आदि
प्राणत्व के आधार पर
जिन वर्णों के उच्चारण मे मुख से कम हवा निकलती है उन्हें अल्पप्राण और जिन वर्णों के उच्चारण में मुख से अधिक हवा निकलती है उन्हें महाप्राण कहा जाता है।
सभी स्वर अल्प प्राण होते हैं ।
घोषत्व के आधार पर
जिस वर्ण के उच्चारण में स्वरतंत्रियों में कंपन होता है उन्हे सघोष कहा जाता है और जिनके उच्चारण में स्वरतंत्रियों में कंपन नहीं होता है उन्हें अघोष कहा जाता है
सभी स्वर सघोष होते हैं।
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