उत्तराखंड के प्रमुख लोकनृत्य (Major Folk Dance of Uttarakhand)
झोड़ा नृत्य
यह कुमाऊं क्षेत्र में माघ के चांदनी रात्रि में किया जाने वाला स्त्री-पुरुषों का श्रंगारिक नृत्य है। मुख्य गायक वृत्त के बीच में हुडकी बजाता नृत्य करता है। यह एक आकर्षक नृत्य है, जो गढ़वाली नृत्य चांचरी के तरह पूरी रात भर किया जाता है।
छोलिया नृत्य
यह कुमाऊं क्षेत्र का यह एक प्रसिद्ध युद्ध नृत्य है। जिसे शादी या धार्मिक आयोजन में ढाल व तलवार के साथ किया जाता है।
हारुल नृत्य
यह जौनसारी जनजातियों द्वारा किया जाता है। इस नृत्य के समय रमतुला नामक वाद्ययंत्र अनिवार्य रुप से बजाया जाता है।
बुड़ियात लोकनृत्य
जौनसारी समाज में यह नृत्य जन्मोत्सव , शादी-विवाह एवं हर्षोल्लास के अन्य अवसरों पर किया जाता है।
पण्डवार्त नृत्य
यह गढ़वाल क्षेत्र में पांडवों के जीवन प्रसंगों पर आधारित नवरात्रि में 9 दिन चलने वाले इस नृत्य/नाट्य आयोजन में विभिन्न प्रसंगों के 20 लोकनाट्य होते है।
चौफला नृत्य
राज्य के गढ़वाल क्षेत्र में स्त्री-पुरुषों द्वारा एक साथ अलग-अलग टोली बनाकर किया जाने वाला यह श्रृंगार भाव प्रधान नृत्य है।
तांदी नृत्य
गढ़वाल के उत्तरकाशी और जौनपुर (टिहरी) में यह नृत्य किसी विशेष खुशी के अवसर पर एवं माघ महीने में किया जाता है
झुमैलो नृत्य
तात्कालिक प्रसंगों पर आधारित गढ़वाल क्षेत्र का यह गायन नृत्य झूम-झूम कर नवविवाहित कन्याओं द्वारा किया जाता है।
चांचरी नृत्य
यह गढ़वाल क्षेत्र में माघ माह की चांदनी रात में स्त्री-पुरुषों द्वारा किए जाने वाला एक शृंगारिक नृत्य है।
छोपती नृत्य
यह गढ़वाल क्षेत्र का नृत्य प्रेम एवं रूप की भावना से युक्त स्त्री-पुरुष का एक संयुक्त नृत्य संवाद प्रधान होता है।
घुघती नृत्य
यह गढ़वाल क्षेत्र का नृत्य छोटे-छोटे बालक-बालिकाओं द्वारा मनोरंजन के लिए किया जाता है।
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भैलो-भैलो नृत्य
यह नृत्य दीपावली के दिन भैला बाँधकर किया जाता है।
जागर नृत्य
यह कुमाऊं एवं गढ़वाल क्षेत्र में पौराणिक गाथाओं पर आधारित नृत्य हैं, य
थडिया नृत्य
गढ़वाल क्षेत्र में बसंत पंचमी से बिखोत तक विवाहित लड़कियों द्वारा घर के थाड (आगन/चौक) में थडिया गीत गाए जाते है और नृत्य किए जाते है। यह नृत्य प्राय: विवाहित लड़कियों द्वारा किया जाता है, जो पहली बार मायके जाती है ।
सरौं नृत्य
यह गढ़वाल क्षेत्र का ढ़ोल के साथ किए जाने वाला युद्ध गीत नृत्य है। यह नृत्य टिहरी व उत्तरकाशी में प्रचलित है।
पौणा नृत्य
यह भोटिया जनजाति का नृत्य गीत है। यह सरौं नृत्य की ही एक शैली है। दोनों नृत्य विवाह के अवसर पर मनोरंजन के लिए किए जाते है।
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