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तारे : तारों का जन्म और मृत्यु (Life Cycle of Stars)

तारे : तारों का जन्म और मृत्यु (Life Cycle of Stars)

Image Credit – NASA

तारे : तारों का जन्म और मृत्यु (Life Cycle of Stars)

किसी भी जीवित प्राणी की तरह, तारे भी एक जीवन चक्र से गुजरते हैं। यह जन्म के साथ शुरू होता है विभिन्न अवस्थाओं मे परिवर्तित होता है और मृत्यु में समाप्त होता है। एक तारे का जीवन चक्र उसके द्रव्यमान से निर्धारित होता है। इसका द्रव्यमान जितना बड़ा होगा, इसका जीवन चक्र उतना ही छोटा होगा  एक तारे का द्रव्यमान उस पदार्थ की मात्रा से निर्धारित होता है 

तारों का निर्माण हाइड्रोजन और हीलीयम गैस से होता है तारों के जीवन की विभिन्न अवस्थाएं निम्नलिखित दी गई हैं

आदि तारा का निर्माण (Formation of Proto Star)

आदि तारा का निर्माण अंतरिक्ष मे उपस्थित हाइड्रोजन और हीलीयम गैसों के संघनन से होता है जिसके पश्चात घने बादलों का निर्माण होता है जैस – जैसे इन बादलों का आकार बड़ता है तो इनके अणुवों के बीच गुरुत्वाकर्षण बल भी बड़ता है जिसके कारण बादल सिकुड़ता चला जाता है और आदि तारा का निर्माण होता है

तारे का निर्माण (Formation of Star)

जैसे – जैसे आदि तारे मे हाइड्रोजन और हीलीयम गैस के अणु गुरुत्वाकर्षण के कारण आपस मे टकराते है तो  आदि तारे का तापमान अत्यधिक बढ़ जाता है जिसके आदि तारे मे से प्रकाश और ऊष्मा उत्सर्जित  होती है प्रकाश उत्सर्जित करने वाले तारे को ही सामान्य भाषा मे तारा कहा जाता है

तारों की मृत्यु (Final Stage of Star)

तारा अपनी अंतिम अवस्था मे धीरे- धीरे ठंडा होता है जिसके कारण यह लाल रंग का दिखाई देने लगता है तारे की इस अवस्था को रक्त दानव (Red Giant) कहते है रक्त दानव मे हीलियम कार्बन मे और कार्बीन लोहा जैसे भारी पदार्थों मे परिवर्तित होने लगता है इसके पश्चात तारे मे एक विस्फोट होता है जिसे सुपरनोवा विस्फोट(Supernova Explosion) कहते है

सुपरनोवा विस्फोट(Supernova Explosion) के बाद तारा किस अवस्था मे परिवर्तित होगा यह तारे के द्रव्यमान और चंद्रशेखर सीमा पर निर्भर करता है

चंद्रशेखर सीमा (Chandrashekhar Limit) – 1.4 Ms द्रव्यमान को चंद्रशेखर सीमा कहते हैं जहां Ms सूर्य का द्रव्यमान है अर्थात चंद्रशेखर सीमा का मान सूर्य के द्रव्यमान का 1.4 गुना होता है

यदि तारों का द्रव्यमान चंद्रशेखर सीमा (1.4 Ms) से कम हो तो वह सुपरनोवा विस्फोट(Supernova Explosion) के बाद श्वेत वामन (White Dwarf) मे बदल जाता है श्वेत वामन को हो जीवाश्म तारा भी कहते है श्वेत वामन ठंडा होकर काला वामन (Black Dwarf) मे बदल जाता है

यदि सुपरनोवा विस्फोट(Supernova Explosion) के बाद तारों का द्रव्यमान चंद्रशेखर सीमा (1.4 Ms) से अधिक होता है तो इस अवस्था मे तारे के नाभिक के इलेक्ट्रान नाभिक को छोड़कर बाहर निकाल जाते है और नाभिक मे केवल न्यूट्रॉन बचे रहते है इस अवस्था मे तारे को न्यूट्रॉन तारा कहते हैं 
न्यूट्रॉन तारा असीमित समय तक सिकुड़ता चला जाता है जिसके फलस्वरूप कृष्ण छिद्र (Black Hole) का निर्माण होता है ब्लैक होल को देखा नहीं सकता है क्यूंकी इसमे से प्रकाश भी बाहर नहीं आ पाता है 

ब्लैक होल की संकल्पना को सबसे पहले जॉन व्हीलर ने प्रतिपादित किया था 

 

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