हिमाचल प्रदेश के प्रमुख लोकगीत, लोकनृत्य एवं लोकनाट्य
हिमाचल प्रदेश लोक कला व संस्कृति की दृष्टि से एक समृद्ध राज्य है, यहाँ अनेक तरह के नृत्य, नाट्य, गीत आदि प्रचलित हैं । इस पोस्ट में हम हिमाचल प्रदेश के प्रमुख लोकगीत, लोकनृत्य एवं लोकनाट्य के बारे में जानेंगे।
हिमाचल प्रदेश के लोकगीत
- राज्य में लोकगीत मुख्य रूप से प्रेम गाथा, वीरगाथा, देव स्तुति, विवाह एवं उत्सवों पर आधारित होते हैं।
- जन्म, नामकरण , मुंडन आदि संस्कारों पर गए जाने वाले गीतों को बिहाइयाँ कहा जाता है।
- कन्या के विवाह पर गाए जाने वाले गीतों को सुहाग गीत कहा जाता है।
- कुंजू – चंचलों यह गए जाने वाले प्रेम गीत हैं जो मुख्य रूप से कुल्लू और कांगड़ा जिलों में गए जाते हैं।
- मण्डी जिले में सिराज की दासी के नाम पर लोकगीत प्रचलित हैं।
- पणतु और छंजोटी भी प्रेम गीत हैं।
- सावन के महीने में झूला गीत गाए जाते हैं जिन्हे पींगा दे गीत भी कहा जाता है।
- हिमाचली ऋतु गीतों में छीजें प्रसिद्ध है जो चैत्र मास में गए जाते हैं।
- लामण कुल्लू घाटी का प्रसिद्ध लोकगीत है।
- चम्बा घाटी में नुआला गीत गाया जाता है।
हिमाचल प्रदेश के लोकनृत्य
- जातरु कामयड नृत्य त्योहारों के अवसर पर आयोजित होने वाला नृत्य है।
- माला नृत्य किन्नौर जिले का प्रसिद्ध नृत्य है।
- नाटी नृत्य एक प्रकार का समूह नृत्य है।
- दलशोन नृत्य किन्नौर जिले की रोपा घाटी में आयोजित होता है।
- शन तथा शाबु लाहौल घाटी के लोकप्रिय नृत्य हैं।
- जब किसी शेर को मार जाता है टी चोलम्ब नृत्य किया जाता है।
- क्यांग नृत्य किन्नौर जिले में आयोजित होता है।
- छम्ब नृत्य मुखौटा लगाकर किया जाने वाला नृत्य है।
हिमाचल प्रदेश के लोकनाट्य
- बूड़ा और सिंह शिमला के गाँव में आयोजित होने वाला नाट्य है।
- कारियाल लोकनाट्य मुख्य रूप से शिमला में आयोजित होता है।
- हिमाचल प्रदेश में स्वांग लोकनाट्य भी प्रचलित है।
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